उन दोनों राहोंपे, अब कोई भी नहीं था,
कौनसी राह मेरी हैं, मुझे समझ नहीं रहा था......
पूरी ज़िन्दगी, एक ही राह पे गुजर गयी,
लेकिन अब सामने, राहों का महाजाल था.....
दूर आसमानपर एक उदासी की रेखा थी,
सुरजके ढलने तक, दिन भी ठहरनेवाला नहीं था....
यादोंके काले बदल, उमड़कर बरस गए थे,
बहते पानीकी निशानी, हर कोई मिटनेवाला था....
तुमने तो अपने कदमोकी आहट भी पीछे नहीं छोड़ी,
जैसे हमारे बीच, कभी कोई नाताही नहीं था....
कौनसी राह मेरी हैं, मुझे समझ नहीं रहा था......
पूरी ज़िन्दगी, एक ही राह पे गुजर गयी,
लेकिन अब सामने, राहों का महाजाल था.....
दूर आसमानपर एक उदासी की रेखा थी,
सुरजके ढलने तक, दिन भी ठहरनेवाला नहीं था....
यादोंके काले बदल, उमड़कर बरस गए थे,
बहते पानीकी निशानी, हर कोई मिटनेवाला था....
तुमने तो अपने कदमोकी आहट भी पीछे नहीं छोड़ी,
जैसे हमारे बीच, कभी कोई नाताही नहीं था....